Safed Pani Aana Ki Samasya Ke Liye Gharelu Upay सफेद पानी आना की समस्या के लिए घरेलू उपाय
Safed Pani Aana Ki Samasya Ke Liye Gharelu Upay
सफेद पानी आना-
इस रोग में गर्भाशय से सफेद रंग का तरल आने लगता है। यह तरल कुछ पीलापन लिए हुए होता है। गर्भाशय की श्लेष्मिककला में शोथ उत्पन्न हो जाने के परिणामस्वरूप यह स्राव स्त्री की योनि से आने लगता है। यह रोग 90 से 95 प्रतिशत स्त्रियां को सताता है। जिस प्रकार पुरूषों में धात की शिकायत आम रहती है। उसी प्रकार यह रोग(सफेद पाना आना) भी महिलाओं को होता है।
सफेद पानी के प्रमुख कारण- Leucorrhea Treatment in Hindi
Leucorrhea रोग का निदान होते ही उसकी तत्काल चिकित्सा प्रारम्भ कर देना हितकर है अन्यथा यह रोग अपनी जड़ें जमा लेता है और लंबे समय तक टिक जाता है। कई स्त्रियां तो जीवन भर इस रोग से परेशान रहती हैं।
इस रोग के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:-
1. यह कोई स्वतंत्र रोग नहीं है, बल्कि यह शरीर में व्याप्त अन्य रोगों का एक लक्षण है।
2. रोगी स्त्री काफी कमजोर व दुर्बल हो जाती है। तब यह रोग प्रकट होता है।
3. रक्ताल्पता व रक्तहीनता।
4. रक्त पतला हो जाना।
5. हीमोग्लोबिन घट जाना।
6. रक्त में लाल कणों का अनुपात घट जाना।
7. छोटी आयु में विवाह हो जाना।
8. जल्दी-जल्दी अधिक संतानों का जन्म हो जाना।
9. यौन रोग भी इस रोग के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें निम्न रोग आते हैं- सिफलिस-उपदंश-फिरंग, गोनोरिया-सुज़ाक।
10. गर्भाशय का टेढ़ा हो जाना।
11. गर्भाशय का कैंसर।
12. गर्भाशय का अपनी जगह से टल जाना।
13. गर्भाशय की दुर्बलता।
14. गर्भाशयिक अर्श-बवासीर।
15. गर्भाशय की शोथ-सूजन-प्रदाह।
16. गर्भाशय का उलट जाना।
17. योनि संबंधी रोग।
18. योनि में घाव हो जाना।
19. योनि की फुंसियां।
20. यकृत रोग एवं विकार।
21. वृक्क रोग एवं विकार।
22. मधुमेह।
23. अजीर्ण-मंदाग्नि, अग्निमांद्य।
24. कब्ज़, मलावरोध।
25. पेट में कीड़े रहना।
26. अति मैथुन करना।
27. मनोविकारों से ग्रस्त रहना।
28. मानसिक तनाव-चिंता आदि से ग्रस्त रहना।
29. सदमा आदि।
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श्वेत प्रदार के प्रमुख लक्षण- Leucorrhea Treatment in Hindi
1. योनि से सफेद रंग का स्राव बहते रहना ही इसका प्रधान लक्षण है।
2. यह स्राव सफेद की अपेक्षा लाल, पीला तथा सफेदी लिए मटमैले रंग का भी होता है।
3. रोगी स्त्री का पेट खराब रहता है।
4. पाचन क्रिया बिगड़ी रहती है।
5. अक्सर रोगी कब्ज़ की शिकार रहती है।
6. रोगी स्त्री को भूख कम लगती है।
7. खाया-पीया अंग नहीं लगता।
8. खाया-पीया हज़म नहीं होता।
9. कमर में दर्द रहता है।
10. सिर दर्द रहता है।
11. बेचैनी व घबराहट होती है।
12. चिंता व तनाव रहता है।
13. रोगी स्त्री का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
14. रोगी स्त्री निर्बल हो जाती है।
15. स्त्री थोड़ा-सा काम करके थक जाती है तथा उसकी लेटे रहने की इच्छा होती है।
16. रोगी स्त्री का किसी काम में मन नहीं लगता।
17. कुछ स्त्रियों को श्वेत प्रदर कम आता है।
18. कुछ स्त्रियों को श्वेत प्रदर इतना अधिक आता है कि आंतरिक वस्त्र भीग जाते हैं।
19. योनि लगातार गीली रहती है।
20. योनि में खाज-खुजलि होती है।
21. योनि से दुर्गंध आती है।
22. योनि में जलन होती है।
23. स्त्री उदास रहती है।
24. रोगी स्त्री हीन भावन से ग्रस्त रहती है।
25. इसके साथ मासिक धर्म के विकार भी संलग्न रहते हैं।
26. योनि का स्राव दो प्रकार का होता है- योनि का स्राव और गर्भाशय ग्रीवा का स्राव।
27. योनि का स्राव दूधिया, पीलापन लिए दही सरीखा होता है।
28. गर्भाशय ग्रीवा का स्राव श्लेष्मा के समान लेसदार व चिपचिपा आता है।
29. पिंडलियों में वेदना-पीड़ा होती है।
30. रोगी स्त्री की त्वचा कांतिहीन हो जाती है।
सफेद पानी की उपयोगी घरेलू चिकित्सा- Leucorrhea Treatment in Hindi
अति उपयोगी आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा का विवरण नीचे विस्तार से दिया जा रहा है। कोई भी रोगी स्त्री को प्रयोग करायें। सभी योग गुणकारी प्रभाव रखते हैं। योग इस प्रकार हैं:-
1. केले के पत्ते महीन पीसकर दूध में खीर की भांति पका लें और प्रयोग करें।
2. धाय के पुष्प पीसकर शहद के साथ चटाने से आशातीत लाभ होता है।
3. शहद के साथ आंवले का चूर्ण मिलाकर चाटने से लाभ होता है।
4. प्रतिदिन केला खाना भी हितकर है।
5. जलभांगरा और पुनर्नवा प्रयोग करने से लाभ होता है।
6. नागकेसर पीसकर मट्ठे के साथ प्रयोग करना हितकर है।
7. केले तथा बांस के पत्ते पीसकर शहद के साथ प्रयोग करना हितकर है।
8. दूध के साथ असगंध का चूर्ण दिन में 2 बार प्रयोग करना हितकर है।
9. शहद में 3 माशा अनार मिलाकर सेवन करना उपयोगी होता है।
10. मिश्री में मुलतानी मिट्टी मिलाकर प्रयोग करना हितकर है।
11. नीम का तेल गाय के दूध में डालकर प्रयोग करना लाभप्रद होता है।
12. पिसी मिश्री में ऊन की राख बराबर मात्रा में मिला कर दूध के साथ प्रयोग करना हितकर होता है।
13. शहद के साथ गूलर का फल खाना श्रेष्ठ है।
14. शक्कर के साथ गूलर फल का प्रयोग करना हितकर है।
15. कपास की जड़ चावल के धोवन में पीसकर प्रयोग करने से रोग से छुटकारा मिलता है।
16. 2-3 ग्राम माजूफल पानी के साथ प्रयोग करना हितकर है।
17. पुराना गुड़ लाभ देता है।
18. सफेद जीरा पीस लें और कड़वे नीम की छाल के रस में मिलाकर लें।
19. मोचरस बकरी के दूध के साथ देने से लाभ मिलता है।
20. मिश्री मिली बड़ी इलायची का चूर्ण प्रतिदिन 1-2 बार 2-3 माशा देना फायदेमंद होता है।
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