Safed Pani Ki Samasya Ke Safal Ayurvedic Upay
सफेद पानी की समस्या के सफल आयुर्वेदिक उपाय
प्रदर सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं-
(1.) श्वेत प्रदर, (2.) रक्त प्रदर।
श्वेत प्रदर(Leucorrhoea)-
इस रोग में स्त्री जननेन्द्रिय से सफेद रंग का स्राव आता है। जबकि रक्त प्रदर में अस्वभाविक रूप से जननेन्द्रिय मार्ग से अधिक मात्रा में अथवा अधिक दिनों तक रक्तस्राव आता है। यह प्रदर का सामान्य परिचय है, लेकिन आयुर्वेद मतानुसार लक्षणों के आधार पर प्रदर 4 प्रकार का आता है।
1. वातज- झागदार, रूखे एवं थोड़ा स्राव।
2. पित्तज- नीला, पीला, लाल और गर्म रक्त का स्राव।
3. कफज़- सफेद, लाल और लिबलिबा स्राव।
4. त्रिदोषज- गर्म, बदबूदार, शहद के समान रक्तस्राव।
ये लक्षण संकेत करते हैं कि रोग के कारण कौन-सा दोष है। इस जानकारी के आधार पर चिकित्सा करनी सरल हो जाती है। यह भी याद रखें कि प्रदर रोग गर्भाशय से संबंधित है, जबकि ‘सोमरोग’ मूत्रमार्ग का रोग है।
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मुख्य कारण-
मद्यपान(शराब पीना), संयोग विरूद्ध आहार, बिना भूख लगे बार-बार भोजन खाना, असंयमित संभोग, अजीर्ण, गर्भस्राव या गर्भपात, शोक या सदमे का शिकार होना, चोट लगना, अधिक भारी बोझ उठाना, अधिक कर्षण करना आदि मुख्य कारण हैं।
प्रदरनाशक योग-
1. अशोक की छाल का बारीक चूर्ण 25 ग्राम गाय के दूध में मिश्री के साथ पका कर प्रतिदिन दोनों समय देने से रक्त प्रदर में लाभ होता है।
2. पका हुआ एक केला 8 ग्राम घी के साथ सुबह-शाम खाने से एक सप्ताह पूरा होते-होते लाभ होने लगता है।
3. पके हुए केले को दूध में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से कुछ दिनों में प्रदर रोग दूर होने लगता है।
4. एक पका केला, आंवले का रस 10 मि.ली. या सूखे आंवलों का चूर्ण 10 ग्राम। इन दोनों के वजन से दोगुनी मात्रा में मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से धीरे-धीरे प्रदर से मुक्ति मिल जाती है।
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5. केले के सूखे पत्तों का बारीक चूर्ण दूध में पका कर प्रतिदिन लेने से भी श्वेत प्रदर से मुक्ति मिल जाती है। लाभ तो एक सप्ताह में ही महसूस होने लगता है।
6. शतावर का रस 10 मि.ली. या चूर्ण 10 ग्राम शहद में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से पित्तज प्रदर में लाभ होता है।
7. सुबह-शाम 5-5 ताजे गुलाब के फूल मिश्री 3-3 ग्राम के साथ पीसकर गाय के दूध में मिलाकर 14 दिन पीने से अवश्य लाभ होता है।
8. कड़वी नीम की छाल के रस में सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर मात्र 7 दिन पीने से प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
9. कपास के पत्तों का रस, चावलों के धोवन के साथ प्रतिदिन पीने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
10. खैर के पत्ते और बाॅय के हरे पत्ते 10-10 ग्राम सिल पर पीसकर लुगदी बनाकर शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से तीव्र प्रदर रोग भी ठीक हो जाता है।
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11. काकजंघा की जड़ के रस में लोध का चूर्ण और शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से श्वेत प्रदर ठीक हो जाता है।
12. भिण्डी(रामझिमनी) की सूखी हुई जड़ 100 ग्राम और पिण्डारू(यह सुथनी नाम से भी बिहार में जानी जाती है)। सूखी हुई 100 ग्राम अच्छी प्रकार कूट-पीसकर छान लें। गाय के दूध 250 मि.ली. के साथ मिश्री 10 ग्राम मिलाकर रोजाना सुबह-शाम रोगी को दें। यह अति उत्तम योग है।
13. नागकेसर पीसकर 3 से 5 ग्राम मट्ठा(छांछ) के साथ लेने से मात्र 3 दिन में श्वेत प्रदर(Leucorrhoea) की समस्या में आराम आ जाता है। बहुत बार तो ऐसा देखा गया है कि मात्र मट्ठा पीने से श्वेत प्रदर ठीक हो जाता है।
14. रसौंत और लाख बकरी के दूध के साथ लेने से भी रक्त प्रदर ठीक हो जाता है।
15. आंवलों के कल्फ को पानी में शर्बत की भांति घोंटकर उसमें शहद और मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
16. मुलहेठी और मिश्री 10-10 ग्राम एक साथ मिलाकर चावलों के धोवन के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
17. हरड़, आंवलें और रसौंत का चूर्ण समभाग लें। शहद या मलाई के साथ 5-5 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से रक्त प्रदर में बहुत फायदा पहुंचता है।
18. बथुए की जड़ को दूध या पानी में पका कर 3 दिन पीने से प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
बनाने की विधि-
चावल की धोवन(चावल का पानी)- कच्चा(अरबा) पुराने चावल 30 ग्राम को दरदरा कूटकर(अधिक महीन मत करें) जल 250 मि.ली. में भिगो दें। दो घण्टे बाद(चावल साबुत हों तो 6-8 घण्टे बाद) उसी पानी में खूब मलें। फिर छानकर पानी रख लें, चावल फेंक दें। यही पानी चावल की धोवन चावल का पानी, तण्दुलोदक और तन्दुल-जल है। योग में(अनुपान रूप में) इसक प्रयोग अधिक होता है। अतः इससे परिचित होना, बनाने की विधि जानना पठकों के लिए आवश्यक था।
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