Safed Pani Ki Samasya Me Karne Ye Aasan Upay सफेद पानी की समस्या में करें ये आसान उपाय

Safed Pani Ki Samasya Me Karne Ye Aasan Upay सफेद पानी की समस्या में करें ये आसान उपाय

Safed Pani Ki Samasya Me Karne Ye Aasan Upay

श्वेत प्रदर या सफेद पानी-

स्त्रियों में उनके प्राइवेट पार्ट(योनि मार्ग) से श्वेत प्रदर या सफेद पानी का निकलना Leukorrhea कहलाता है। यह हर स्थिति में रोग का लक्षण नहीं है। ज्यादातर स्त्रियां इस भुलावे में होती हैं कि सफेद पानी के जाने से कमजोरी आती है, चक्कर आता है, बाॅडी में दर्द होता है और पूरे शरीर की असली चमक व रौनक समाप्त हो जाती है, जो उनके आत्मविश्वास को कमजोर करती है। इसी प्रकार की गलत धारणाएं भारत और पड़ोस के देश के कुछ प्रांतों में प्राचीन काल से विख्यात है।

महिलाओं में सफेद पानी का जाना इन दो खास कारणों से होता है…
1. स्वाभाविक, 2. बिमारी का लक्षण

1. स्वाभाविक
कुछ मात्रा में सफेद पानी का निकलना महिलाओं में ज्यादातर स्वाभाविक है। खासकर माहवारी के पहले, मासिक धर्म के पश्चात्, अण्डोत्सर्ग (Ovulation) के समय और उत्तेजना आने पर पर स्वाभाविक है। इसके लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं और न ही इसके उपचार की आवश्यकता होती है। जो स्वाभाविक है उसके लिए क्या परेशान होना और कैसा उपचार कराना।

2. बिमारी का लक्षण
श्वेत प्रदर या सफेद पानी का जाना महिलाओं का एक रोग है, जिसमें योनि मार्ग से काफी मात्रा में सफेद रंग का गाढा, चिपचिपा और दुर्गन्ध भरा पानी निकलता है और जिसकी वजह से वे बहुत कमजोर हो जाती हैं। स्त्रियों में सफेद पानी निकलने का रोग आम बात है। यह स्वयं में कोई बड़ा रोग नहीं होता, लेकिन और कई रोगों के कारण हो जाता है।
श्वेत प्रदर(यानी स्त्रियों के योनि मार्ग से सफेद पानी का निकलना) असलियत में कोई रोग नहीं है, बल्कि किसी अन्य योनिगत या गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है या सामान्यतः प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है।

Safed Pani Ki Samasya Me Karne Ye Aasan Upay

श्वेत प्रदर(सफेद पानी) के अन्य लक्षण-

1. योनि मार्ग में व उसके आसपास खुजली होना
2. कमर में दर्द का होना
3. सिर घूमना या चक्कर आना
4. सुस्ती व कमजोरी महसूस होना

कारण-

नेचुरली श्वेत प्रदर होना

नीचे बताई गई कुछ परिस्थितियों में सफेद पानी का निकलना स्वाभाविक होता है-
– कामेच्छा होने पर
– गर्भवती होने पर
– नवजात बालिका
– मासिक धर्म के कुछ दिन पहले
– बिजोत्पत्ती के दिन
– अज्ञान कारण से(idiopathic)

स्त्रियों में सफेद पानी का निकलना ज्यादातर कामेच्छा जागृत होने पर होता है। यह सफेद पानी चिकनाहट(lubrication) पैदा करता है, जोकि संभोग के लिए अत्यंत उपयोगी है। जब भी मन में सेक्स के प्रति इच्छा तीव्र हो तब यह सफेद पानी निकलता है, फिर चाहे आप शादीशुदा हों या ना हों। इसके निकलने से ना कमजोरी महसूस होती है, ना कोई दर्द, ना अन्य किसी भी प्रकार का स्वास्थ पर दुष्प्रभाव पड़ता है। कामेच्छा होने पर अगर lubrication सही मात्रा में ना हो, तो संभोग काफी कष्टदायक हो सकता है। इसका उपचार कराना पड़ सकता है।

आप यह आर्टिकल safedpani.com पर पढ़ रहे हैं..

सफेद पानी महिलाओं में मासिक धर्म(bleeding) के कुछ दिन पूर्व काफी मात्रा में निकलता है। बिजोतपत्ती(ovulation) के वक्त इस्ट्रोजन(Estrogen) कि मात्रा बढ़ने से सफेद पानी अधिक बह सकता है। गर्भ धारण के वक्त भी सफेद पानी का निकलना ज्यादा मात्रा में होता है। नवजात अर्भक बच्ची में भी माता के इस्ट्रोजन(Estrogen) कि वजह से सफेद पानी निकल सकता है।
बहुत ज्यादा व्रत, कामुक विचार, अश्लील मुद्दे पर बातचीत, मुख-मैथुन, संसर्ग में विपरीत आसनों का इस्तेमाल करना, सम्भोग काल में अत्यधिक घर्षण युक्त आघात, रोगग्रस्त पुरुष के साथ सहवास, 2-3 पुरूषों से एक साथ बहुत ज्यादा सेक्स करना, सम्भोग के बाद योनि को साफ पानी से न धोना व वैसे ही गन्दे बने रहना आदि इस रोग की मुख्य वजह बनती है। बार-बार गर्भपात कराना भी सफेद पानी का एक प्रमुख कारण है। सफेद पानी का एक और कारण प्रोटिस्ट हैं जोकि एक सूक्ष्म जीवों का समूह है।

सुरक्षा और उपचार –

इसके लिये सबसे अहम और पहली जरूरी जो चीज है, वो है साफ व स्वच्छ रहना। योनि को धोने के लिये सबसे बढ़िया उपाय है फिटकरी का जल प्रयोग करना। फिटकरी एक सर्वोत्तम जीवाणु नाशक है और यह महंगी भी नहीं है। साथ ही ये आसानी से मिलने वाली वस्तू है। बोरिक एसिड के घोल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

– सम्भोग के बाद साबुन का प्रयोग करके साफ-सफाई जरूरी है।
– हर बार मल-मूत्र त्याग के बाद अच्छे से सभी अंग को साबुन से धोना।
– बार-बार गर्भपात कराना भी सफेद पानी का एक खास कारण है, इसलिए स्त्रियों को अनचाहे गर्भ से बचने के लिए सर्तक रहना चाहिए। जिसके लिए वह गर्भ निरोधक उपायों का प्रयोग (कंडोम, काॅपर टी, मुँह से खाने वाली गोलियाँ) कर सकती हैं। साथ ही एक या दो बच्चों के बाद अपना या अपने पति का नसबंदी आॅपरेशन कराना चाहिए।
– शर्म व संकोच को परे करते हुए इस विषय पर अपने पति व डाॅक्टर से चर्चा करनी चाहिए।
– इस रोग की खास औषधियां अशोकरिष्ट, अशोक घनबटी, प्रदरांतक लौह, प्रदरहर रस आदि हैं।

क्या होता है योनिक स्राव और उसे असामान्य कब कहा जाता है?
ग्रीवा से उत्पन्न श्लेष्मा(mucous) का बहाव योनिक स्राव कहलाता है। अगर स्राव का रंग, गन्ध या गाढ़ापन असामान्य हो अथवा मात्रा बहुत अधिक जान पड़े तो हो सकता है कि रोग हो। योनिक स्राव(Vaginal discharge) साधारण प्रक्रिया है जोकि माहवारी के अनुसार बदलती रहती है। दरअसल यह स्राव योनि को साफ और स्निग्ध रखने की कुदरती प्रक्रिया है। वहीं अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव इसलिये बढ़ जाता है, ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सकें। अण्डोत्सर्ग के पहले काफी मात्रा में श्लेष्मा(mucous) बनता है। यह सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है। लेकिन कई हालातों में जब इसका रंग बदल जाता है और इससे दुर्गन्ध आने लगती है तो यह रोग के लक्षण का रूप ले लेता है।

सफेद योनिक स्राव: मासिक धर्म के पहले और बाद में महीन और सफेद योनिक स्राव सामान्य है। सामान्यतः सफेद योनिक स्राव के साथ खुजली या चुनमुनाहट नहीं होती है। यदि इसके साथ खुजली हो रही है तो यह खमीर संक्रमण(yeast infection) को प्रदर्शित करता है।

साफ और फैला(Clear and stretchy) हुआ: यह उर्वर(fertile) श्लेष्मा है। इसका मतलब है कि आप अण्डोत्सर्ग के चक्र में हैं। साफ और पानी जैसा यह स्राव स्त्रियों में सामान्य तौर पर पूरे चक्र के दौरान अलग-अलग समय पर होता रहता है। यह भारी तब हो जाता है, जब व्यायाम या मेहनत का काम किया जाता है।

पीला या हरा: यह स्राव असामान्य है और रोग का लक्षण है। इससे ज्ञात होता है कि योनि में या कहीं तीव्र संक्रमण है। खासकर जब यह पनीर की तरह और दुर्गन्ध से युक्त हो, तो जल्द ही डाॅक्टर को दिखाना चाहिये।

भूरा: यह स्राव ज्यादातर मासिक चक्र के बाद देखने को मिलता है। दरअसल यह ‘सफाई’ की नचुरली प्रक्रिया है। पुराने ब्लड का कलर भूरा-सा हो जाता है। सामान्य प्रक्रिया के तहत श्लेष्मा के साथ बाहर आता है।

लाल धब्बेध्भूरा स्राव: यह स्राव अण्डोत्सर्गध्मध्य मासिक के दौरान हो सकता है। काफी दफा आरम्भिक गर्भावस्था के दौरान भी यह स्राव देखने को मिलता है। इस आधार पर कई दफा इसे गर्भधारण का इशारा भी जाना जाता है।

किस दशा में सामान्य योनिक स्राव में बढ़ोत्तरी होती है?
सामान्य योनिक स्राव की मात्रा में निम्नलिखित परिस्थितियों में बढ़ोत्तरी हो सकती है- योनिक उत्तेजना, भावात्मक दबाव और अण्डोत्सर्ग(माहवारी के मध्य में जब अण्डकोष से अण्डे का सर्जन और विसर्जन होता है)।

असामान्य योनिक स्राव की वजह क्या हो सकती हैं?
असामान्य योनिक स्राव की ये वजह हो सकती हंैं- 1. मैथुन से होने वाला संक्रमण, 2. जिनके शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है या जिन्हें डायबिटीज़ रोग की शिकायत होती है, उनकी योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग हो सकता है।

असामान्य योनिक स्राव से कैसे बचा जा सकता है?

1. यौनांगों व उसके आस-पास की सफाई और शुष्क रखना जरूरी है।
2. योनि को ज्यादा नहीं भिगोना चाहिए(योनि पर पानी मारना)। बहुत-सी महिलाएं सोचती हैं, कि मासिक चक्र या संसर्ग के बाद योनि को अच्छे से ज्यादा पानी मारने पर, वे साफ महसूस करेंगी। लेकिन इससे योनिक स्राव और भी बिगड़ जाता है, क्योंकि उससे योनि पर छाये स्वस्थ बैक्टीरिया मर जाते हैं, जोकि उसे संक्रामक रोगों से बचाते हैं।
3. दबाव से बचें।
4. योन संबंधों से होने वाली बीमारियों से बचने और उन्हें फैलने से रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
5. डायबिटीज़(शुगर) हो तो रक्त की शर्करा को नियंत्रण में रखना चाहिए।

वैसे असामान्य योनिक स्राव के लिए शीघ्र ही डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। वे आपके लक्षणों की जानकारी लेंगे, आपका परीक्षण करेंगे और उसके बाद ही उपचार बतायेंगे।

सेक्स से संबंधित अन्य जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें..http://chetanonline.com

Safed Pani Ki Samasya Me Karne Ye Aasan Upay

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *