Shwet Pradar Ki Samasya Me Khaas Ayurvedic Upay

Shwet Pradar Ki Samasya Me Khaas Ayurvedic Upay

श्वेत प्रदर(ल्यूकोरिया)-

सामान्यतः जिसे श्वेत प्रदर कहते हैं, वह सफेद, बहुत पतला और हल्की दुर्गंध वाला द्रव्य होता है। स्त्री के योनि मार्ग से यह चिपचिपा सफेद पानी बहता है, जिसे ल्येकोरिया भी कहते हैं, जोकि स्त्रियों व लड़कियों में पाई जाने वाली समस्या है।

ल्यूकोरिया की समस्या एक आम समस्या है और इसमें चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। यह परेशानी अधिकतर कम उम्र की युवा होती लड़कियों में अधिक देखने को मिलती है।

अगर तो आपको बहुत कम मात्रा में सफेद पानी गिरने की समस्या है, तो कोई घबराने जैसी बात नहीं है, क्योंकि यह कोई रोग होने की निशानी नहीं है। किन्तु आपको बहुत अधिक पानी जाता है और काफी लंबे समय तक यह समस्या बनी रहती है, तो आगे चलकर यह एक बड़ी और गंभीर समस्या का विषय हो सकता है।

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ल्यूकोरिया में किन परेशानियों करना पड़ सकता है सामना?

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अधिक परेशानी में चक्कर और बेहोशी आने लगती है।

भूख नहीं लगती।

आंतरिक और बाहरी रूप से कमजोरी महसूस होना।

स्वभाव में चिड़चिड़ापन रहना।

योनि में व इसके आसपास खुजली का होना।

पिडंलियों में दर्द रहना।

योनि मार्ग से दुर्गंध आना।

शारीरिक रूप से कमजोर होना आदि।

श्वेत प्रदर के क्या कारण हैं?

यौन संक्रमण की वजह से भी ल्यूकोरिया की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

बार-बार गर्भपात के कारण।

स्त्रियों का अपने यौनांग की साफ-सफाई न करने से।

अत्यधिक मात्रा में अश्लील व पोर्न वीडियो देखने के कारण।

श्वेत प्रदर की आयुर्वेदिक चिकित्सा-

1. शकरकन्द और जिमीकन्द सामन भाग लेकर छाया में सुखायें और महीन चूर्ण करके रखें। इसे 5-6 ग्राम तक ताजा पानी, बकरी के दूध अथवा अशोक की छाल के क्वाथ में शहद मिलाकर सेवन करायें। सब प्रकार के प्रदर, विशेष कर श्वेत प्रदर में अत्यंत हितकर है।

2. दारूहल्दी, बबूल का गोंद और शुद्ध रसांजन 10-10 ग्राम, पीपल की लाख, नागरमोथा और सोना गेरू 5-5 ग्राम तथा मिश्री 20 ग्राम लें। कूट-कपड़छन कर लें। इसे 2-3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन कराने से सभी प्रकार के प्रदर रोग दूर होते हैं।

3. मोचरस, अनार की कली और ढाक का गोंद 10-10 ग्राम, पठानी लोध और समुद्र-शोष 40-40 ग्राम तथा मिश्री 50 ग्राम, सबको कूट-कपड़छन करके रखें। इसे 6 से 12 ग्राम तक मिश्रीयुक्त गर्म दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करानी चाहिए। श्वेत प्रदर को शीघ्र नष्ट करती है।

4. गोखरू, पापड़िया कत्था कतीरा गोंद और सेलखड़ी समान भाग लेकर कपड़छन चूर्ण बनावें। इसे 5 से 10 ग्राम तक बकरी के दूध के साथ सेवन करायें। इस प्रयोग से सब प्रकार के प्रदर रोगों में शीघ्र लाभ होता है।

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5. चैलाई की जड़ का चूर्ण 3 ग्राम से 5 ग्राम की मात्रा में, चावलों के धोवन में शहद मिलाकर उसके साथ सेवन करायें।

6. त्रिफला, मुलहठी, नागरमोथा और लोध के चूर्ण को शहद में मिला कर सेवन करायें। वातज प्रदर में उपयोगी है।

7. मुलहठी, शंखजीरा, नीलकमल और काला नमक 2-2 रत्ती लेकर मिलावें। यह एक मात्रा है, इसे दही और शहद 25-25 ग्राम मिलाकर, उसके साथ सेवन करायें। इससे वातज प्रदर नष्ट होता है।

8. वासा स्वरस शहद में मिलाकर दिया जाये।

9. गिलोय के स्वरस शहद में मिलाकर दिया जाये।

10. कुशा की जड़ चावलों के धोवन के साथ पीसकर पिलाने से सब प्रकार का प्रदर रोग दूर होता है।

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